पूरी दुनियां चेलों से पट गई। जिधर नजर दौड़़ाओ चेले ही चेले। श्यान मैजेंटा विबग्योर हर रंग के चेले हां इन्फ्रा रेड और यू वी रंग के भी चेले।
दर्जन के भाव चेले किलो के भाव लेले।
कांग्रेस के, भाजप के, अम्बेडकर के, महामद के, जीसस के, गौतम बुद्ध के, मार्क्स के, ओशो के, स्टालिन के, गांधी के, नेहरू के, इंदिरा के, सूफी मजार के, साईं खर कतवार के चेले, पेरियार के चेले, भौजी के भतार के चेले।
जहीन चेले महीन चेले, बदनसीब चेले, रंगीन चेले, नरम चेले, गरम चेले, बेभरम चेले, ठसाठस चेले ठसठस चेले ठूंसाठूंस चेले।
आदमी के लिए जगह नहीं बची।
महामद के चेलों का एजेंडा है। घोड़े की तरह आंखों पर पट्टी बांधे दौड़े जा रहे हैं। उनसे तर्क मत कीजिए, सिपाही है तर्क में हार जाएगा तलवार चला देगा वही उसकी भाषा है।
जीसस और सैंट पाल के भारतीय चेले लहजा नरम जेब गरम और आंख में भरम रखते हैं। सबके लिए स्वर्ग का दरवाजा खुले परमेश्वर के एकमात्र पुत्र की कृपा सबको मिले इसलिए जमीन प्राकृतिक संसाधन पर कब्जा और लोगों का जमीर खरीदना बच्चे बेचना आवश्यक है।
अम्बेडकर के चेले प्रतिशोध से भरे हैं, उनसे तर्क मत कीजिए। रक्त में घृणा का जहर दौड़ रहा है।
मार्क्स के चेले तब तक सुबह से शाम तक पूंजी और पूंजीपतियों को गाली देंगे शाम से उनकी धनपतियों की लीला शुरू होगी। सारे युवा कामरेड कलक्टर बन जाने की चाहत तक व्यवस्था-विरोध से ग्रस्त हैं।
बुद्ध के चेले अनात्मवादी, शून्यवादी,अनीश्वरवादी मूर्तिपूजा-विरोधी बुद्ध को ईश्वर मान उनकी मूर्ति की आगे आत्मा की शुद्धता की दुहाई मांग रहे हैं।
।ऊं मणिपद्मे हुं।
गांधी के चेले इतने अहिंसक कि उनकी बात मानो नहीं तो मार ईंटा कपारे फोर देंगे। शाकाहारी बन जाओ नहीं तो अच्छा नहीं होगा बताए दे रहे हैं।
।जय गुरूदेव। ।जय ब्रह्मकुमारी।
भारत में भक्त भगवान से बड़े होते हैं तो यहाँ नया मुल्ला महामद से ज्यादा प्याज खाता है, भारतीय लेफ्टिस्ट मार्क्स से हजारगुना अधिक वर्ण व्यवस्था और बुर्जुआ सर्वहारा के झंडे ढोता है, गांधीवादी का बकरी और ब्रह्मचर्य अनुराग मोहनदास तै दस गुना भारी है और हम उनके आभारी हैं।
पन सबसे नायाब महामानव हाहाकारी प्रलयंकारी न भूतो न भविष्यति प्रधान सेवक के चेले। आप इनसे तर्क न कीजिए इतिहासे बदल देंगे। इनकी ‘विश लिस्ट’ ही इनका समाचार है।
चीन गिड़गिड़ा रहा है मानसरोवर और तिब्बत ले लो!
पाकिस्तान हुआ चित, पी ओ के पर बनेगा डोभाल का अभेद्य किला!
भारत बना सबसे बड़ी महाशक्ति!
ट्रम्प और पुतिन ने माना लोहा!
ऐसे ही एक चेले मिले एक दिन!
मैं- “तीन सौ सत्तर पर कुछ ठोस नहीं हो पाया”
चेला 1-“उत्तर भारत की हिंदी पट्टी के ब्राह्मण धीरे धीरे बीजेपी से खिसक रहे हैं”
मैं- ” राम मंदिर अब नहीं तो कब? केंद्र में आप, राज्य में आप, राष्ट्रपति आपका”?
चेला 2-” धर्म में निरपेक्षता आप ब्राह्मण लाये।
रिजर्वेशन आप ब्राह्मण लाये। पाकिस्तान के बाद शेष बचे लोगों को संरक्षण आपने दिया।सारी अव्यवस्था के मूल में आपका ही अकर्तृत्व है। ब्राह्मण रहना भी चाहते हो,असुविधा का रोना भी रोते हो।”
मैं- ” कामन सिविल कोड का क्या हुआ कुछ पता नहीं चल रहा है?
चेला 1- “पहले शूद्र महापद्मनंद और फिर मौर्यों व गुप्तों जैसे गणक्षत्रियों को ही हथियार बनाकर यौगन्धरायण, वर्षकार जैसे ब्राह्मणों ने मगध साम्राज्यवाद के हाथों लिच्छिवि, मल्ल, यौधेय, अर्जुनायन जैसे गणक्षत्रियों का विनाश करवाया ताकि ब्राह्मण सर्वोच्चता स्थापित कर प्रजाओं का खून चूसा जा सके ।
मैं- “मथुरा काशी कश्मीरी पंडित, लव जेहाद तन्वी सेठ माजरा कहाँ तक पहुंचा??
चेला-३ ” जिसे आप आजादी की लड़ाई कहते हैं, वह भी (ब्राह्मणों की )एक चीटिंग थी, रजवाड़ों से वर्चस्व छीनने की। सब कुछ छीन लिया, हमने तो ऐसा विद्रोह नहीं किया।
मैं- ” अरे यार, वंशानुगत जनसंघी हैं हम चौदह में भी मोदी को ही वोट दिया था”
चेला २- ” यदि आप को लगता है कि ब्राह्मण होने के कारण आप दिन प्रतिदिन प्रताड़ित हुए जा रहे हैं, तो आप जा सकते हैं, पर जाते जाते सुन लीजिए,
आप जाएंगे कहाँ? वहां जाकर करेंगे क्या?
मैं- भाई जाएंगे कहाँ? अब तो यूरेशिया की नागरिकता भी खत्म हैगी जहां कम्युनिस्ट हमें भेजना चाहते हैं।
वो समवेत- “वामपंथ और सेक्युलरों को खुराक भी तो आप ही ने (ब्राह्मणों) ने दी है।
।इति चेलापुराणे प्रथमखण्डे प्रथमोध्यायः संपूर्णं।
– डॉ. मधुसूदन उपाध्याय, लेखक भारतीय संस्कृति, इतिहास, कला, धर्म एवं आध्यात्म के गहन जानकार हैं।
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