हाल ही में फेसबुक के एक नवोदित लेखक विजय सिंह ठकुराय ने विज्ञान सम्बन्धी एक पुस्तक बेचैन बन्दर लिखी थी। बेचैन बन्दर का फेसबुक पर काफी स्वागत हुआ, खासकर उस वर्ग में जो विज्ञान से दूर ही था। पुस्तक द्वारा धार्मिक भावनाएं आहत होने पर विवाद भी हुआ था। क्योंकि विज्ञान की पुस्तक में धर्म की आलोचना व धर्मग्रंथों के गलत उद्धरण दिए हुए थे। जिससे समाज में जातिगत विद्वेष पनपने की भी सम्भावना है। साथ ही पुस्तक की सामग्री को लेकर भी प्रश्न उठते रहे हैं, पर हम पुस्तक की निष्पक्ष समीक्षा के ही हिमायती हैं। इसलिए विज्ञान पर लिखी गई पुस्तक बेचैन बन्दर की विज्ञान पक्ष को लेकर समालोचना इस लेख में की गयी है। व पुस्तक की कई वैज्ञानिक गलतियों पर प्रकाश डाला गया है। इससे पाठक वर्ग को पुस्तक के बेहतर चयन में भी सुविधा होगी।
विजय सिंह ठकुराय जी, सर्वप्रथम आपको आपकी पहली किताब के लिए बधाई। जब पहली बार आपकी किताब के बारे में सुना तो आपकी विज्ञान में रुचि को देख कर ये उम्मीद थी कि एक अच्छी किताब हिंदी के पाठकों को मिलने वाली है। अभी तक मैंने बेचैन बन्दर के शुरू के तीन चैप्टर पढ़े है और पढ़ने के बाद निराश हूँ क्योंकि आपकी किताब में तथ्यात्मक गलती हैं जबकी आपके कहे अनुसार किताब साइंस के जानकारों द्वारा रिव्यु करी गई है।
बेचैन बन्दर की कुछ वैज्ञानिक गलतियाँ:
पहली गलती
◆1. सबसे पहली गलती मुझे पेज नंबर 12 पर ये दिखी कि आपने लिखा अगर कोई तारा हमारे नज़दीक आ रहा हो उसका प्रकाश बड़ी वेवलेंथ(Red shifted) होता है वही जब दूर जा रहा होता है तो उसका प्रकाश छोटी वेवलेंथ(blue sifted) का, जबकि डॉप्लर इफ़ेक्ट के अनुसार पास आने वाले तारे का प्रकाश Blue shifted होना चाहिए और दूर जाते हुए तारे का red shifted.
दूसरी गलती
◆2. पेज न. 18 आपने मोटे मोटे अक्षरों में लिखा कि ब्लैकबॉडी रेडिएशन में उच्च से निम्न तापमान प्राप्त करने में लगा समय, तापमान के अंतर के वर्ग के समानुपाती होता है। ये तापमान और समय का संबंध आपने किस वैज्ञानिक थ्योरी, शोध से लिया है? क्योंकि इस संबंध के अनुसार आपके द्वारा की गई गणना भी गलत है। इस संबंध के अनुसार 1अरब तापमान में 1/10 गिरावट का मतलब दोनो तापमान में 10,00,000 केल्विन का अंतर और जिसके वर्ग के अनुसार समय 1,00,00,00,000,000 गुना होना चाहिए, ना कि 100 गुना।
तीसरी गलती
◆3. पेज न. 22 आपने लिखा कि 1 डिग्री केल्विन पर एक फोटोन की ऊर्जा 0.00008617 ev होती है, ये फोटोन की ऊर्जा नही, 1 केल्विन तापमान पर किसी आदर्श गैसीय सिस्टम में मौजूद परमाणु या कण की औसत गतिज ऊर्जा का मान है।
क्योंकि,
Energy of a photon (E) = planck constant (h) x light speed (c) / wavelngth (λ)
या, E = h x f (frequency)
h = 6.626069959×10^-34 joule.second or (4.135667662×10^−15 eV.second)
C = 2.99792458×10^8 meter/second
चूंकि 1 डिग्री केल्विन तापमान पर फोटोन की वेवलेंथ 2.997×10^-3 meter या फ्रीक्वेंसी 1.0×10^11 हर्ट्ज होती है, इस प्रकार एक केल्विन तापमान पर फोटोन की ऊर्जा E 6.626069959 × 10^-23 joules या 0.00041356 ev होती है। मुझे लगता है कि, इलेक्ट्रान निर्माण के लिए जरूरी तापमान गणना Kinetic theory of Gases से की गई है क्योंकि अपने शुरुआती दौर में ब्रह्मांड, गैस के एक बादल के रूप में ही था।
Kinetic theory of Gases के अनुसार किसी ideal monoatomic गैस का तापमान T उसके परमाणुओं या कणों (particles) की औसत गतिज ऊर्जा (kinetic energy) E के समानुपाती है,
E ~ T or E = kb.T
यहां kb बोल्टज़मैन नियतांक(kb) है जिसका मान 0.00008617ev/kelvin है। अतः इलेक्ट्रान और पॉज़िट्रान पेअर के निर्माण के लिए टकराने वाले फोटोन की गतिज ऊर्जा एक इलेक्ट्रान की रेस्ट मास ऊर्जा 511003ev से ज्यादा होनी चाहिए और इतनी गतिज ऊर्जा के लिए तापमान T = E/kb = 51106 ev/0.00008617 = 5.93 अरब केल्विन होना चाहिए जैसा कि आपने लिखा।
चौथी गलती
◆4. पेज न. 25 आपने लिखा कि जीन्स द्रव्यमान रेडिएशन प्रेशर की तृतीय घात का व्युत्क्रमानुपाती होता है। जीन्स द्रव्यमान या मास और रेडिएशन प्रेशर में कोई इस प्रकार का सीधा संबंध नही है। लगता है आप आंतरिक गैस प्रेशर और रेडिएशन प्रेशर के बीच भ्रमित हो गए क्योंकि एक ब्रह्मांडीय गैसीय बादल तब तक ही साम्य अवस्था(ना ही संकुचन और ना ही फैलाव) रहता है जब तक उसके आंतरिक गैसीय प्रेशर की गतिज ऊर्जा उसके गुरुत्वकर्षण की स्तिथि ऊर्जा के बराबर होती है,
2K =U
अतः किसी भी एक ऊर्जा के कम या ज्यादा होने से साम्य अवस्था भंग हो जाती है और बादल या तो संकुचित होना प्रारंभ हो जाता है या विस्तरित होना।
चूकि जीन्स मास तापमान की तृतीयघात के वर्गमूल (T^3/2) के समानुपाती और घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसीलिए ब्रहमाँड़ की प्रारंभिक अवस्था मे जीन्स मास का मान तापमान अधिक होने की वजह से बहुत ज्यादा था । अगर हम घनत्व को अचर मानते हुए बिग बैंग के 10 सेकंड और 380000 साल बाद का जीन मास का अनुपात निकाले, 10 सेकंड बाद तापमान 1 अरब(10^9) के करीब था जिसकी तृतीय घात का वर्गमूल करीबन 10^14 होता है और 380000 साल बाद करीब 3000 केल्विन था जिसकी तृतीय घात का वर्गमूल लगभग 10^5 होता है, इन दोनों संख्याओं का अनुपात 10^9:1 है अतः 3,80,000 साल बाद का जीन मास प्रारंभिक जीन मास का लगभग1अरबवां भाग था, जो ब्रह्मांडीय बादल में गुरुत्वाकर्षण संकुचन के लिए जरूरी था, इसलिए बिग बैंग के 380000 साल बाद तारों और आकाशगंगाओं का निर्माण प्रारम्भ हुआ।
बेचैन बन्दर के शुरू के तीन चैप्टर में रोचकता का अभाव है, ऊपर से ये बिना रेफेरेंस के तथ्य ज्यादा दिमाग का दही कर रहे हैं। फिलहाल किताब को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, फिर कभी मूड बनेगा तो देखेंगे।
जय श्री राम।
– श्री संजय अग्रवाल, लेखक विज्ञान के गहन अध्येता हैं
(सभी लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं)
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